Posts

Showing posts from November, 2013

बात (मुक्तक)

Image
सादगी से जो कहे, वो बात होती पुरअसर भीड़ में शब्दों की देखो, भाव होते बेअसर बोलते है खूब, कोई सार उसमे है नहीं शोर हो जब ढोल का तो, बांसुरी खोती असर -विनिता सुराना 'किरण'

नेता (रोला मुक्तक)

Image
जोड़े दोनों हाथ, खड़े है नेता द्वारे पाँच साल के बाद, लगे है वोटर प्यारे खूब बनाया माल, भरी है जेबें अपनी कहाँ मिटी है भूख, देश को लूट लिया रे -विनिता सुराना 'किरण'

सांझ (रोला मुक्तक)

Image
गहराए ज्यूँ सांझ, याद की बदली छाए राह तकूँ सब भूल, नैन भी नीर बहाए कोयल कूके बाग़, विरह की धुन वो लगती कटे नहीं अब रात, चाँद भी अगन लगाए -विनिता सुराना 'किरण'

ग़ज़ल

Image
तुम जो आए हर तरफ बजने लगी शहनाइयां सज गयी महफ़िल नहीं अब है कहीं तन्हाइयां नूर कुछ ऐसा है छाया आसमां पर आज फिर खिल रही है चांदनी लेने लगी अंगडाइयां शोर है अब हर तरफ मिलता कहाँ दिल को सुकूं सोच में रहता है मन पीछा करें परछाइयां है नहीं आसां सितम उनके भुलाना आज भी छोडती तनहा नहीं हमको कभी रुसवाइयां झूठ का है बोलबाला हर तरफ देखो 'किरण' रो रही है अब लुटा कर आबरू सच्चाइयां -विनिता सुराना 'किरण'

अंजुरी : मेरा हिंदी काव्य संकलन

Image
मेरा पहला काव्य संकलन हिंदी कविताओं का .....एक साझा प्रयास है 20 नवोदित परन्तु फेसबुक के जाने-पहचाने रचनाकारों का : श्री अनुराग त्रिवेदी 'एहसास'जी श्री कवि आशीष तिवारी जी श्री ओम प्रकाश नौटियाल जी श्री कपिल जैन जी श्री कमलेश श्रीवास्तव जी श्री जसबीर कालरवी जी कवि श्री डेनिस तिवारी जी श्री प्रताप गर्ब्याल जी श्रीमती प्रियंका पाण्डे जी श्री कवि बलदाऊ गोस्वामी जी श्री बलवीर राणा भैजी जी श्री बी. एल. पारस जी श्रीमती मंजुल भटनागर जी सुश्री लिली कर्मकार जी श्री विवेक सिंघानिया जी श्रीमती श्लेष राठौर उल्फत जी श्री सर्वेश सिंह जी श्रीमती सुधा तिवारी जी श्रीमती नीलू 'नीलपरी' जी श्रीमती विनिता सुराना 'किरण'

ग़ज़ल (बचपन)

Image
कड़ी धूप में है झुलसता ये बचपन न जीता न मरता तड़पता ये बचपन न थामी कलम और किताबें कभी भी अँधेरी गली में भटकता ये बचपन बढे हाथ वहशी उसे नोच लेंगे यही सोच कर अब सिहरता ये बचपन खिलौनों से टूटे सभी ख्वाब उसके कि चाकी में जीवन की पिसता ये बचपन हथेली में छाले छलकती है आँखें उठाता है बोझा सुबकता ये बचपन लकीरें ये कैसी है किस्मत की देखो निवाले को भी अब तरसता ये बचपन किया कैद कोमल कली को 'किरण' यूँ हिना भी डराती सिसकता ये बचपन -विनिता सुराना 'किरण'

मुक्तक

Image
खिलखिलाए कभी, कभी रो लें आज खुद से भी रूबरू हो लें छोड़ कर फिक्र इस ज़माने की दो घडी प्रीत में चलो खो लें. -विनिता सुराना 'किरण'

तुम्हारे लिए (मुक्तक)

Image
करेंगे दुआ ये तुम्हारे लिए हम सदा ही रहे दूर तुमसे सभी गम मुबारक हो तुमको नज़ारे ये सारे हमारे लिए इक नज़र भी नहीं कम -विनिता सुराना 'किरण'

विराम

Image
सोचती हूँ कभी, ये कैसी क्षुधा है ? जो शांत होती ही नहीं, धीमे-धीमे सुलगती ही रहती है, चूल्हे की राख में दबे अंगारों की तरह. क्या सीमायें उस आकाश की पहले से तय है किस्मत के पन्नों में ? तो क्या उड़ान का प्रयत्न व्यर्थ है ? कैसे जान पाऊँगी कि कहाँ रुकना है ? उन ख़्वाबों का क्या ? जो ठहरे है अब भी पलकों की कोर पर, एक आस लिए कि सुबह होते ही उन्हें उड़ना है पर रात है कि ख़त्म होती ही नहीं. यही नियति है मेरी शायद, एक पन्ने से दूसरे पन्ने तक निरंतर सफ़र अल्प-विराम तो ले सकती हूँ पर पूर्ण-विराम ? नहीं कभी नहीं ...... -विनिता सुराना 'किरण'

चुनावी ग़ज़ल (9)

Image
समा है चुनावी बनाया है गाना सुनाती हवाएँ चुनावी तराना करेंगे हजारों चुनावी ये वादे कि मुश्किल इरादे समझ इनके पाना पुराने दिखा ज़ख्म उल्लू बनाए मगर इनके झांसे में भोलू न आना बटेंगे कड़क नोट बोतल खुलेगी ज़रा खुद की थोड़ी समझ भी लगाना नए खेल सोचो न अब बर्गलाओ बहुत हो चुका है तमाशा पुराना -विनिता सुराना 'किरण'

ग़ज़ल (8)

Image
क्यूँ न फिर गीत मधुर प्रीत के हम गाएं वो ख्वाहिशें आज सभी माँग चलो लाएं वो जो मुड़े मोड़ कभी आज वहीं है फिर हम दो कदम वो जो चलें साथ हमें पाएं वो ख्वाब जो टूट गए आज सजा दे फिर से फूल जो सूख गए काश महक जाएं वो वक़्त बेवक्त तेरी याद चली आती है काश इक बार तुझे साथ ही ले आएं वो तीरगी जान हमारी न 'किरण' ले ले अब साथ देने की कसम आज कहो खाएं वो -विनिता सुराना 'किरण

Forgotten

Image
Let’s not talk about moonlight Or even shimmering starry night No wild dreams, unsung song Destiny’s strokes all gone wrong Moments lost or forgotten vows Dance parties and pre-designed shows Fake smiles and secret tears Countless thorns this life bears. Let’s ponder for a while Sort out the pending pile Baggage of carelessly dumped secrets Moments loved yet with regrets Feelings never ever given words Unspent tears for caged birds Let me color your pages With emotions suppressed for ages. -Vinita Surana 'Kiran'

ख्वाहिशें (मुक्तक)

Image
निरंकुश अमरबेल सी बढती ही रही ख्वाहिशें छूने को आसमान मचलती ही रही ख्वाहिशें खो गए चैन-औ-सुकून , आया न इक पल करार दीमक बन रिश्तों को निगलती ही रही ख्वाहिशें - विनिता सुराना ' किरण '

आल्हा छंद ( भारत माँ)

Image
जागो अब हे भारतवासी , कर्तव्यों का कर लो भान | संकट में संस्कार हमारे , लुट ना जाए माँ की आन || भ्रष्टाचारी खींच रहे हैं , देखो माँ का पावन चीर | कब तक यूँ ही मूक रहोगे , समझो माँ की भीषण पीर || निज स्वारथ का त्याग करें हम , स्वच्छ करे आचार-विचार | जन-जन आक्रोशित हो जाए , भ्रष्टो का कर दें संहार || -विनिता सुराना ‘ किरण ’

मीरा-कृष्ण

Image
मुरली की धुन, मीरा मन भाए सुध-बुध जग की, तब वो बिसराए श्याम सलोना, जग का है प्यारा मीरा ने पर, सब कुछ है वारा वीणा के स्वर, या मुरली की धुन अलग नहीं अब, एक हुए है सुन. -विनिता सुराना ‘किरण’