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अहसास हो 'तुम'

अहसास लिखना एक कला है , महसूसियत से जुड़े हों जरूरी भी नहीं ! पर जब अहसास हों महसूसियत हो, तो अल्फ़ाज़ बौने हो जाते हैं ! ऐसा ही एक अहसास हो "तुम" ! तुमसे हर मुलाक़ात अधूरी ही लगी... ©विनीता सुराना 'किरण'