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Showing posts from June, 2020

एक लम्हा भर ज़िन्दगी

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चंद क़दम ही सही, साथ चलो मेरे, आओ मनाते हैं उत्सव एक खूबसूरत शाम के आने का तुम्हारी हथेली में चांद  मेरी आंखों में सितारे उतर जाने का, फिर देखते ही देखते सारे रंग तुम्हारी मुस्कान में बिखर जाने का, और वो एक लम्हा मेरे कैमरे में क़ैद हो जाए ! "पर क्या ये काफी होगा जान ?  सदियों की तलाश और इंतज़ार का सिला, बस एक लम्हे का प्यार ! तो फिर एक लम्हा एक सदी हो जाये  तुम्हें देखूं, बुत हो जाऊं तुम्हें छू लूं, तुम्हीं में समा जाऊं .. याद रहे बस ये लम्हा  बाकी सब बिसरा आऊं .. एक पूरी ज़िंदगी एक लम्हे में गुज़र जाए, तब शायद काफी होगा 'तुम्हारा' वो एक 'लम्हा' ... है न ?" तुमने पूछा "शायद हाँ या शायद कुछ भी काफी नहीं तुम्हारे साथ...  असीमित हैं ख़्वाहिशें, अरमान, चाहतें ...  मगर हर ख़्वाहिश के साथ लगा होता है 'प्राइस टैग' !  सुनो, मुझे मंज़ूर है हर क़ीमत, जब तक तुम हमकदम हो मेरे ..."  मेरी आँखों में सैलाब था अहसासों का और उसमें उभरता तुम्हारा अक्स ! "एक दूसरे से किया हर वादा निभाएंगे हम, साथ है ये सदियों का, और जारी रहेगा सफ़र बिल्कुल वहीं से, जहाँ से एक मोड़ मु

उनका होना

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                   उनके बीच शब्दों की जरूरत ही नहीं, तब भी वो अक्सर शब्दों में ढाला करते हैं एक दूसरे को..      उनके बीच अहसास सांस लेते हैं उन अनगिनत ख़तों में जिन्हें कभी भेजा नहीं जाता एक दूसरे को क्योंकि उनका अलग कोई पता ही नहीं ...        वो अक्सर एक ही गीत को अलग-अलग मगर एक ही समय में सुना करते हैं , गुनगुनाया करते हैं ये सोचते हुए कि क्या ये गीत कभी उसने भी सुना होगा , महसूस किया होगा ...       उन्होंने अलग-अलग काल में ऋषिकेश के एक ही घाट पर गंगा को हाज़िर नाज़िर कर घंटों एक दूसरे का इंतज़ार किया है... फिर छोड़ आये अपने मन का एक हिस्सा वही कहीं घाट की सीढ़ियों पर ...        कुछ कहने से पहले जब एक दूसरे की अधूरी बातें पूरी कर देते हैं तो खूब हँसते है और फिर भीग जाती हैं आंखें उस वक़्त के लिए जब यही अधूरी बातें बेचैन किया करती थीं उन्हें ...                  वो अक्सर सारी दूरियां मिटा कर मिलते हैं रातों की ख़ामोशियों में, छेड़ते हैं एक दूसरे के दिलों के तार, थिरकते हैं उनके कदम हवा में बहते उन रूमानी गीतों पर जिनका हर लफ़्ज़ उन्हीं के लिए  गढ़ा हुआ है जैसे , मीलों के फ़ासले उनके

ये हाथ हम न छोड़ेंगे

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कैसे बताएँ तुम्हें, और किस तरह ये, कितना तुम्हें हम चाहते हैं? साया भी तेरा दिखे, तो पास जाके उसमें सिमट हम जाते हैं। रास्ता तुम्ही हो, रहनुमा तुम्ही हो, जिसकी ख़्वाहिश है हमको, वो पनाह तुम्हीं हो । तुम ही हो बेशुबा, तुम ही हो तुम ही हो मुझमें, हाँ, तुम ही हो 🎶🎵 तुमसे जो मिली हूँ, हर लफ़्ज़ के मायने बदल गए, हर अहसास अलहदा सा लगा, तुमसे जब भी इज़हार की तलब जागी, अल्फ़ाज़ मिले ही नहीं जो तुम्हारे लिए मेरे अहसास बयां कर पाते...  न जाने कितनी यादें अकेले बनाते आये हैं अब तलक और फिर भी हमेशा से साथ ही थे जैसे ... न तुमसे कुछ छुपा था मेरा, न मुझसे तुम्हारा, नहर के दो किनारों जैसे हाथ थामे जाने कबसे एक ही सफ़र में थे हम ...साझा थी हमारी उड़ान, साझा थी ख़्वाहिशें भी , साझा थे ख़्वाब सारे, साझा थी मंज़िलें भी ... "मुझे लगता है मैं सदियों से तुम्हारा हूँ, तुम मेरी हो .... तुम्हें मुझसे और मुझे तुमसे अलग करना मतलब पानी को पानी से अलग करना" " जानते हो हर रोज़ तुम्हें ख़त लिखा, कि शायद मेरे भीगे लफ़्ज़ों की नमी तुम्हें महसूस हो... तुमने ही मेरा परिचय सुरों से करवाया था, न जाने कितने न

अब हमारी बारी है

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शब-ए-गुज़िश्ता में जो ख़्वाब बुने तेरे संग  उनकी कशिश सुब्ह तक तारी है तन्हाइयों ने समेटा है यादों का ज़खीरा वक़्त ने कसमसा कर इतना कहा, "जी लो जी भर के अब तुम्हारी बारी है ! #सुन_रहे_हो_न_तुम

'तुम' बस 'तुम'

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तुम पास नहीं, साथ भी नहीं फिर भी जाने क्यों लगता है तुम हो यहीं कहीं ... जैसे हाथ बढाऊँ और छू लूँ तुम्हें! जाने ये कैसा आभास है, कैसा अहसास है, तुम, तुम्हारा होना कुछ नया भी नहीं बस है, जैसे हमेशा से था और हमेशा रहेगा... मैं अक्सर तुम्हें गुनगुनाते हुए सुनती हूँ रात की खामोशियों में, अक्सर महसूस करती हूँ तुम्हें अलसुबह नरम गीली घास पर मेरे कदमों से कदमताल मिलाते,  तुम्हारी हथेली की वो हल्की सी छुअन  मुझे सिहरन दे जाती है ... घर के सामने बगीचे में लगे  गुलमोहर से झरते फूलों का स्पर्श पाकर  ऐसे चौंक जाती हूँ जैसे  तुमने उंगलियों से मेरे गालों पर सरक आयी बालों की लट को हौले से हटाया हो वो कुंवारा सा स्पर्श, वो मीठी सी गुदगुदी, वो धड़कनों का यकायक तेज हो जाना, साँसों का बोझिल हो जाना, सब कुछ वैसा ही है  कभी नहीं बदला ... जितना जानती जाती हूँ तुम्हें थोड़ा और जानने की प्यास रह जाती है, जाने क्यूँ मुझे अब भी तुम्हारी आदत नहीं हुई  अगर हो जाती तो ये जादुई छुअन बरकरार कैसे रहती ? सुनो,  तुम हमेशा ऐसे नए-नए, अधूरी प्यास जैसे रहना, ऐसे ही अच्छे लगते हो तुम ! 💕 किरण

अहसास

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माना बहुत लंबा रहा ये सफ़र  और तुम्हारे लिए मेरा इंतज़ार भी,  मगर जानते हो  जितनी शिद्दत से ये कहानी लिख रही थी,  वक़्त के पन्नों पर  और उकेर रही थी तुम्हें धीरे-धीरे ,   मन हमेशा ये कहता रहा  कि तुम महज़ एक कल्पना नहीं,  न ही मेरा इंतज़ार बेमानी है तुम्हारे लिए ।         यूँ भी तुम्हें इसलिए कब चाहा था  कि तुम्हें बांध लूं खुद से  या खुद ही बंध जाऊं तुम से ...  किसी बंधन में, किसी रस्म में  मेरा विश्वास नहीं रहा अब ,  जी चुकी हूं बहुत रस्मों को,  निभाती आयी हूँ कितने बेजान रिश्तों को ...  सुनो तुमसे कोई रिश्ता नहीं जोड़ना न ही हमारे बीच के इस बेनाम  मगर बेहद अहसास को कोई नाम देने की चाहत है । बस जीना है हर लम्हा तुम्हारे साथ  छूना है अरमानों का आसमां भीगना है अहसासों की बारिश में बिखरना है तुममें खोकर और संभलना है तुम्हारा हाथ थाम कर  सुनो, अगर ये साथ इस बार छूटा  तो छूट जाएंगी ये सांसें भी फिर नहीं मिलेगी राख़ भी  उस इश्क़ की, जिसे इतनी शिद्दत से  बूँद-बूँद सींचा है  ताकि जब तुम मिलो तो जी सकूं इसे  सिर्फ और सिर्फ  तुम्हारे साथ !  💕 किरण

सुबह

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धीरे-धीरे सुबह हुई,   जाग उठी ज़िन्दगी पंछी चले अम्बर को, माझी चले सागर को प्यार का नाम जीवन है मंज़िल है प्रीतम की गली .. ♪♫ “सुबह पहले कब इतनी खूबसूरत हुई याद नहीं ... रात की अनचाही जाग में अधपके ख़्वाबों की भटकती रूह ने कब खुल कर महकने और चहकने दिया सुबह को ?   पर जिस रात की सुबह तुम्हारी बाहों में हो, उस सुबह में चंचल गौरैया के मधुर गीतों का गुंजन भी होगा, मोहब्बत में भीगे तुम्हारे अलफ़ाज़ किसी प्रेम-गीत का आगाज़ करेंगे, मन जाने कितने आसमान लाँघ कर उन्मुक्त साँसें लेगा बिना किसी थकन के और प्रीत की ओस में भीगा फिर लौट आएगा तुम्हारे आगोश में ... तभी तो होगा शुभ प्रभात और एक खुशनुमा दिन का आगाज़ जिसे तुम्हारे साथ ही सफ़र करना है, एक सुकूँ भरी रात के आँचल में लौट जाने तक!” “मेरी सुबह तुम्हारी आँखों में चमकते इन गुलाबी डोरों से रंग लेती है, जिनमें हमारे ख़्वाबों की रंगत और ख़ुमारी है | तुम्हारी आँखों में देखकर तुमसे बातें करने का जी चाहता है| तुम्हारे इन बिखरे बालों को संवारते हुए तुम्हारी बकबक सुनने का जो मज़ा है वो तो किसी संगीत में भी नहीं | जब तक नहीं देखा था तुम्हें