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Showing posts from January, 2019

सफ़र में है कहानी

कहानी महज़ कुछ किरदारों का खेल नहीं, शब्दों की श्रृंखला भी नहीं, घटनाओं का सिलसिला भी नहीं, एहसासों का आकाश भी नहीं, ख्वाहिशों का दंगल भी नहीं, दबे छुपे आक्रोश या चिंतन की अभिव्यक्ति भी नहीं कहानियां ये सब हैं और इससे कहीं ज्यादा हैं मन को भिगोती शीतल बूंदों का संसार हैं, भावनाओं को उद्वेलित करती गर्म रेत हैं, रंगों में डूबी सुरमई सांझ है, अश्क़ों में डूबी काली रात का ख़्वाब है, गुलाबों के गुच्छे में छुपे खार भी समेटे है कहानी समुंदर सी धीर, नदिया सी अधीर, झरने सी चंचल है कहानी ठहराव भी है, पड़ाव भी परंतु एक सफ़र है अनवरत हाँ सदियों से सफ़र में है कहानी .... © किरण

कच्चा सा मन

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तुम्हारे लगाए पौधे को बहुत प्यार से सींचा करती हूं ... कुछ कतरे धूप छिड़क कर फिर से छांव में ले आती हूँ। एहतियात से नाप तोल कर पानी, खाद सब देती हूं फिर भी रोक तो नहीं सकती फूलों का मुरझाना एक वक़्त के बाद। सूखे फूल उदास कर देते हैं इसलिए नहीं सहेजा करती उन्हें किताबों में, दराजों में या डब्बों में पर सुनो मैं नहीं डालती उन्हें कूड़ेदान में भी...बस हथेलियों में भर, आहिस्ता से उछाल देती हूं पीछे गली में खुलने वाली खिड़की से बाहर ...वहाँ अब भी बचा हुआ है थोड़ा सा कच्चा फर्श .. कोई बीज शायद मुझसे दूर रहकर ही सही, पनप जाए ..       सर्द थपेड़ों से जड़ हो चुकी मन की दीवारों के भीतर भी रख छोड़ा है एक कच्चा कोना बहुत संभाल कर जहाँ मुट्ठी भर उदासी में एक चुटकी उम्मीद की मिलावट अब भी करती रहती हूं चुपके से ! #सुन_रहे_हो_न_तुम

रात की डायरी

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वक़्त के धोरों में आंच सी महसूस की है अक्सर यादें अक्सर करवट बदल कर सरक आती हैं थोड़ा और क़रीब बेचैन सिलवटों में लुका-छिपी खेलती कितनी ही ख़्वाहिशें हर रात लिखा करती हैं तुम्हारा नाम क्या कभी लौटाएगा ये वक़्त 'तुम्हें' ? ©किरण