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Showing posts from September, 2018

कोई अपना सा

आजकल वह अक्सर तलाशती है कोई वज्ह ख़ुश होने की.. कभी उन पुराने भूले-बिसरे नगमों में, जिन्हें गाते-गुनगुनाते घर भर में थिरकती थी... तो कभी अपनी डायरी के ज़र्द हो चुके पन्नों में, जिनमें दर्ज़ हैं कितने ही हसीन लम्हे... कभी ढ़ीले पड़ चुके एल्बम की तस्वीरों में, जो गवाह हैं कुछ महकते रिश्तों की.. कभी जुट जाती है रसोईघर में, ये भूलकर कि अब किसी के दिल का रास्ता उन पकवानों से होकर नहीं जाता... जाने कबसे घुट रहे हैं बादल पर बरसते ही नहीं शायद उसी की तरह ज़ब्त किये बैठे हैं अपने एहसास अपने दर्द अपने शिक़वे और हर लम्हा बिखरते ख़्वाबों की टूटन ... झूले पर अनमनी सी अधलेटी वह अक्सर खोजती है कोई चेहरा उस सलेटी-सफ़ेद पर्दे पर इस आस में कि धरती पर न सही आसमाँ में ही दिख जाए 'कोई अपना सा' 💕 किरण

Waking into dreams

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A web of dreams Like a canvas adorned with colours Not stroked but sprayed Like a delightful childlike splash in the rainwater.. A mirage or an opening into something That was awaited for so long A tussle between a reasoning mind and a longing heart.. 💕 Kiran

Exit or break

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Musings of a restless mind are... Like those moist clouds, Spent after heavy rains Branded useless By pompous puddles n ponds After they have had their fill.. Like a paper boat dampened by a sudden dip Trying to readjust its anchor Which is equally fragile ... Residue of thoughts still  hanging around Like those phantom droplets suspended in the air Which can be felt but never embraced... Still trying to figure out Whether its time to exit Or Just a little break to rejuvenate .... 💕 Kiran

Veiled truth

Half truth or lie.. Though you deserved none Yet mirror veiled is better than being scorched by phoebus. 💕 Kiran

Vain

Half hearted byes Faint memories Lost moments .. sum total of life that was spent, not lived . 💕 Kiran

ख़त बिटिया का

     मुझे लाड़ो कहा करते हो न पापा, आपकी चिनिया हूँ न माँ, पर फिर भी बांधे हो अपने इर्द-गिर्द कितने बंधन रस्मो के, रिवाज़ों के, दस्तूर कह कर ज़माने का, मन में बांध ही ली एक गांठ मेरे पराये होने की !        क्या चुनूँ मैं बोलो न .. किताब-क़लम या हिना सुहाग की, क़दम बढाऊँ आत्मनिर्भर होने को शिक्षा-संकुल की ओर या पहन कर घुँघरू वाली पायल किसी आँगन को चहकाऊं ?        हाँ माना हक़ है आपको चुन लो मेरा रास्ता पर किसी सुबह अगर हिना लहू सी दिखी हथेली पर और पायल बेड़ियों सी पाँव में तो कैसे देख पाऊंगी आपकी झुकी नम आँखों में अपराधियों सा भाव ! 💕किरण

निरंतर

कुछ कहानियों का न आदि होता न अंत ... बस वक़्त की लहरों संग बहा करती हैं जैसे बहुत श्रद्धा से जलाया गया हो दीप और फिर प्रवाहित कर दिया जाए । चाहत एक ही कि अखंड रहे वह दीप और उसकी लौ, भ्रम बना रहता है न जब आंखों से ओझल होने तक टिमटिमाती लौ कि अब कभी न बुझेगी । अपनी आंखों के सामने आख़िर कौन देखना चाहता है मोहब्बत की लौ का बुझ जाना ? 💕किरण #सुन_रहे_हो_न_तुम

सहरा

न रुके क़दम, न जुस्तजू ही कम हुई फिर भी न जाने कहाँ छूट गए कुछ मुक़ाम सहरा सी वीरानी, वक़्त की रेत पर ये अल्पकालिक निशां, उम्र की दहलीज़ पर एक उंगली बचपन की थामे अक्सर सोचा करती हूँ ... इन कच्चे से लम्हों के पार क्या होगा कोई पड़ाव हरियाला सा या जारी रहेगा ये अंतहीन भटकाव ? एं ज़िन्दगी, तेरी तलाश में छोड़ आये पीछे कितने ही कारवां .. कुछ ज्यादा की ख़्वाहिश भी नहीं फ़क़त इक मुलाक़ात ही तो चाही थी तुझसे ! 💕 किरण

मैं अनामिका !

"अपनी ज़िंदगी से जुड़े हर शख़्स को कोई न कोई नाम दिया मैंने पर तुम ही हो जिसे कोई नाम नहीं दे सका.." तुमने कहा तो ऐसा लगा कहीं कुछ तो छूटा था जो अनकहा ही रहा हमेशा तुम्हारे मेरे बीच। "मैं एक पहेली ही सही तुम्हारे लिए पर ये भी सच है कि तुम्हारे सिवाय मुझे किसी और ने जाना भी नहीं, समझा भी नहीं ... ये जो एहसास हैं लहरों की तरह हमारे बीच से गुज़रते हैं पर ये उस बारहमासी नदी की लहरे हैं जो गुज़र कर भी गुज़रती नहीं कभी पूरी तरह।" हर्फ़ दर हर्फ़ तुम्हारे-मेरे बीच का पुल पार करती मैं कभी तुम तक पहुँची ही नहीं मगर ये भी तो सच है कि तुम्हारा साथ कभी छूटा भी नहीं .." मेरे अल्फ़ाज़ अक़्सर यूँ ही तुम्हें छूकर चुपके से लौट आते हैं । "कोई एक नाम मुझे मिला ही नहीं जो तुम्हें पूरी तरह समेट सके ... एक चंचल मगर गहरी नदी सी, तुम्हारे साथ हर पल मगर तुम्हें शब्दों में बांधना मुमकिन नहीं क्या करूँ?" अपनी ही रौ में कहते गए तुम और मैं ... मैं बस भीगती रही उस पेड़ से लिपटी हुई जिसे तुमने कुछ ही पल पहले छुआ था। सुनो, एक पुल हम हर रोज़ लिखेंगे, कभी तो मिलेंगे हमारे अल्फ़ाज़, जैसे चुपके से म