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Showing posts from January, 2021

ज़ायके से जश्न-ए-बहारा तक

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ज़ायके से जश्न-ए-बहारा तक  मांडलगढ़ दुर्ग से वापसी का सफ़र उतना ही आसान रहा जितनी चढ़ाई दुरूह लगी थी, कारण ये कि जिस राह गए थे उससे कहीं आसान वो रास्ता था जिससे हम लौट रहे थे। लौटने की राह हमने अनजाने ही अलग चुन ली थी जैसे कोई राह दिखा रहा हो ... दुर्ग के बाहर चट्टानों पर मंद बहती शीतल हवा का अहसास लौटते हुए भी साथ रहा और हम बढ़ चले थे अपने अगले पड़ाव चित्तौड़गढ़ की ओर । अलसुबह के सफ़र में कुदरत के जलवे हज़ार हों पर एक कमी शिद्दत से खलने लगी थी अब कि कहीं कुछ खाने के लिए नहीं दिखा था अब तक। साथ में परांठे, अचार, नमकीन, मीठा, बिस्कुट, चिप्स सभी कुछ था पर हम स्ट्रीट फूड तलाश रहे थे जिसका मज़ा सिर्फ रोड ट्रिप पर ही सबसे ज्यादा आता है 😍😋                 फिर आया वो मोड़ जहाँ से स्टेट हाईवे की ओर मुड़ना था। ब्रिज के नीचे से रास्ता कट रहा था चित्तौड़ के लिए और ठीक उसी ब्रिज के नीचे कढ़ी-कचौरी, कढ़ी-समोसे की स्टॉल से आती मनभावन खुशबू ने गाड़ी के ब्रेक स्वतः लगवा दिए☺️ गरम कचौरी, समोसे छोले चटनी और उबलती हुई राजस्थानी कढ़ी के साथ, इससे बढ़िया दिन की शुरुआत हम राजस्थानियों के लिए क्या होगी 😃 तो बस लगा ली गाड़ी स

लो सफ़र शुरू हो गया

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लो सफ़र शुरू हो गया ! रोशनी की पहली किरण के साथ 'किरण' का सफ़र शुरू हुआ, चार पहिये, संगीत और दो यायावर 😊 हाँ सैलानी नहीं यायावर क्योंकि हम निकले थे रोड ट्रिप पर ...पड़ाव तो अनगिनत होने थे पर तय कोई भी नहीं । एक पड़ाव तय था महाबलेश्वर, न उसके पहले का कोई प्लान न उसके बाद का, बस कुदरत के साथ की चाह लिए मन में हम निकल पड़े थे घर से । एक उनींदी सी रात के बाद आई ख़ुशनुमा सुबह के सनराइज से शुरू हुआ ये रोड ट्रिप रोमांचित कर रहा था और मन प्रफुल्लित था जैसे पंछी आज़ाद हुए हो पिंजरे से . न न घर नहीं है पिंजरा, बल्कि पिंजरा था वो 2020 की अनचाही बंदिशें, जिसने अपने पहले प्यार कुदरत से दूर कर दिया था, यायावरी(जो सांसें हैं मेरी) पर अंकुश लगा दिया था। रास्ते में पहला पड़ाव तय हुआ  चित्तौड़गढ़ किला पर हमें मांडलगढ़ की धरती या कहूँ गलियाँ पुकार रही थीं धीमी सी मगर कशिश भरी आवाज़ में ... हाईवे पर आगे बढ़ते हुए कब हम मांडलगढ़ के रास्ते पर मुड़ गए और बढ़ चले थे गाँव की ओर, मांडलगढ़ किले की ओर जाने वाली सड़क पर मगर पहले ही पड़ाव पर रुकावट बन गया सड़क सुधार कार्य, जहाँ से किले की ओर बढ़ना था वहाँ तो हमारे