आल्हा छंद ( भारत माँ)




जागो अब हे भारतवासी, कर्तव्यों का कर लो भान |
संकट में संस्कार हमारे, लुट ना जाए माँ की आन ||
भ्रष्टाचारी खींच रहे हैं, देखो माँ का पावन चीर |
कब तक यूँ ही मूक रहोगे, समझो माँ की भीषण पीर ||
निज स्वारथ का त्याग करें हम, स्वच्छ करे आचार-विचार |
जन-जन आक्रोशित हो जाए, भ्रष्टो का कर दें संहार ||
-विनिता सुराना किरण

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