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Showing posts from August, 2014

कत्लगाह

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वो अँधेरी गलियाँ जिनसे गुज़रकर कम नहीं होते अँधेरे बढ़ते ही जाते हैं..... धुआँ छोड़ती भट्टियाँ जो कभी सांस नहीं लेती एक पल को भी..... एक महीन सी रेखा धूप की चुपके से झांकती है बंद खिडकियों के ऊपर बने छोटे से रोशनदान से ......   एक तीखी सी सीटी चीर जाती है तभी गहरे बोझिल सन्नाटे को और अचानक शुरू होती है भारी हलचल..... बिजली की गति से दौड़ने लगती हैं छोटी-छोटी दुबली-पतली आकृतियाँ नन्हे हाथों में थामे उबलता हुआ पिघला सीसा भट्टियों से सांचों तक ताकि ढल सकें रंगबिरंगी खूबसूरत चूड़ियाँ...... एक अलग सा संसार है इन चूड़ियों का अलग उन सूखे मुरझाएं चेहरों से खुरदरी हो चुकी हथेलियों से कमज़ोर पैरों से जो बिना रुके, थके चलते है रात-दिन पिघला सीसा लिए पात्र सांचों में पलटते पुनः भरने के लिए कभी कसके बंद किये होंठों से छूट जाती है दर्द की कराहें जब एक-दो बूँद छलक जाती है छाले पड़े हाथ-पैरों पर मगर रुकने की इजाजत नहीं देती वो गिद्ध सी आँखें जो निरंतर रखती है पहरा उन पर ...... इन अँधेरी भयानक काल कोठरियों में हर दिन घुटती है,

तुम नहीं आये

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लो समा गया एक और दिन शाम के आगोश में रेशमी गालों पर शाम के उभर आई है लाली हया की परिंदे भी लौट चले हैं अपने नीड़ की ओर तारों की बारात भी बस आने को है सज रहा है चाँद मिलने को रजनी से मिलेंगे बिछड़े मीत भी अपनी सजनी से पर तुम नहीं आये ..... कहा था न तुमने   मेरा इंतज़ार करना इससे पहले कि शाम के रंग घुले   रजनी की साँसों में और चुरा ले चाँद उनको, मैं लौट आऊंगा, मेरे गीतों को होंठों से लगाकर अपनी धडकनों के सुर देना अपनी नर्म हथेली पर मेहंदी रचाना खूब सजना संवरना दुल्हन सी निखरना जरूर लौट आऊँगा मैं तुम्हारा श्रृंगार पूरा होने से पहले  पर तुम नहीं आये ..... कल कुछ तितलियाँ आई थी मिलने मेरे ख़्वाबों से छोड़ गयी कुछ रंग पिघले से जगा गयी मेरे ख़्वाबों को सोचा, जब तक तुम नहीं आते एक तस्वीर बना लूँ तुम्हारी कुछ यादें थी खामोश सी मिला कर रंगों में जिन्हें गाढे किये थे रंग   ताकि बह न जाए, लो कच्ची पक्की सी बन गयी एक तस्वीर तुम्हारी पर तुम नहीं आये ...... कब से पलकों में छिपाए बैठी हूँ तस्वीर तुम्हारी ढाले हैं वो लम्ह

मुक्तक

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मुक्तक

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पञ्च चामर छंद

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पञ्च चामर छंद

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रेशम की डोरी

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दोस्ती

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For All My readers and friends !

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Some relations are beyond words and one can never express them in words completely…… Such is friendship too …No quote, no poem, no write-up can ever express what we feel deeply in our heart. Friends may come and go yet their footprints are forever imprinted on the path they crossed us. Wonderful memories that make us smile n cry both, for those moments can never come back yet they belong to us forever …. Straight from the heart! Love you all my readers and friends near n far <3 <3 <3

बिटिया (चोका)

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