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Showing posts from April, 2020

तुम्हारे बाद

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मेरी दहलीज़ से होकर बहारें जब गुज़रती है यहाँ क्या धूप, क्या सावन, हवाएँ भी बरसती हैं हमें पूछो क्या होता है, बिना दिल के जिए जाना बहुत आई-गई यादें, मगर इस बार तुम ही आना 🎶🎵 गाने के बोल जैसे बरस रहे थे सावन की बूंदों की तरह पर ये सावन फिर भी सूखा ही गुज़रा ... जब तपिश हो धरती के भीतर तो सूख ही जाती हैं बरसातें .. यूँ भी अब कहाँ है वो सुकून , वो सौंधी ख़ुशबू , वो भीगे अहसास .. सब बदल गया , न तय समय पर मौसम आते हैं न जाते हैं , कभी बह जाते हैं बादल हवाओं संग तो कभी भूल जाते हैं कि आगे भी बढ़ना था..... धूप जलाती भी नहीं अब और न छांव सुकून देती , बर्फीली ठंड में याद ही नहीं आता वो पसंदीदा ओवरकोट और किसी दिन हल्की ठंड में निकाल लाती हूँ अम्बार ऊनी कपड़ों का ... वो टीन पर बूंदों की छमछम बहुत कर्कश लगती है, कानों में उँगली ठूस कर कहीं कोने में दुबक जाने को जी करता है बस ।                  अगर नहीं बदला है कुछ तो वो है तुम्हारे नाम ख़त लिखना, न लिखूं तो आंखें बंद होने से इंकार कर देती हैं, रात अपना आँचल भी नहीं देती कि तुम्हारी बाहें समझ कर समा जाऊं और सो जाऊं कुछ देर ही सही एक

नाकाम कोशिश

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वक़्त करता रहा कोशिश उम्र की तहों में दबाने की, मगर ज़िद्दी यादें आकर  हर रात खुरचती रहीं थोड़ा-थोड़ा, जाने कब कटने लगी तहें  और बाहर सरक आये कुछ जबरन दबाए गए 'अहसास' ... रुक जा कुछ देर तो वक़्त  फिर चढ़ा देना एक परत उम्र की, बस एक गहरी सांस भर लेने दे  जो काफी हो तब तक , जब तक फिर से करें ये अहसास, तेरी क़ैद से भागने की  एक नाकाम कोशिश ! ❤️ किरण

सूना-सूना लम्हा

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कहीं होकर भी वहाँ न होना, कितना आसान है न .. ठीक वैसे ही जैसे कहीं न होकर भी वहाँ मौजूद होना ?      जैसे हमारा हर शाम अपने उस पहाड़ी कॉटेज में पहुंच जाना, अपने शहर की तपती हवा को पल में भूलकर उन ठंडी हवाओं को महसूस करना, उड़ते बादलों में चेहरे तलाशना, देर तक तारों का नामकरण करना, बादलों में लुका छिपी खेलते चांद को सबसे पहले थप्पी करना फिर देर तक हँसते रहना ...       तुमसे फ़ोन पर बतियाते कितनी ही रातें उस कॉटेज में जी हैं, अब भी अक्सर एक चक्कर लगा आती हूँ वहाँ ....पर अब तुम नहीं दिखते, बस एक अहसास होता है कि तुम भी आया करते हो वहाँ... सारी ख़ुशबूओं के बीच तुम्हारी वो अलहदा सी ख़ुशबू बेसाख़्ता लिपट जाती है मुझसे ..           अरसा हुआ तुम्हारी आवाज़ सुने मगर उस कॉटेज में तुम्हारे-मेरे duets अब भी गूंजते हैं, सुकून भरी थपकियाँ देकर मुझे सुला देते हैं, तुम्हारी बाहों का घेरा बनकर मुझे महफ़ूज़ कर देते हैं और मेरे ख़्वाब तुम्हारी मोहब्बत से आबाद होते हैं ..       रात गहरा चली है और चुप्पी तोड़ रहे हैं तुम्हारे साज़ और मेरी आवाज़ ... हाँ, हँसी बन गए, हाँ नमी बन गए  तुम मेरे आसमां, मे

वर्जित

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"एक ही ज़िन्दगी है, दूसरा मौका होगा कि नहीं ये कोई नहीं जानता तो क्यों ये इच्छा मन में लिए चला जाऊं इस दुनिया से....एक बार तो करके देख लेना चाहिए था, वो सब जिसे करने से खुद को रोकता रहा ये सोच कर कि ये शायद गलत है ... इसलिए कम से कम एक-एक बार सब करके देखा मगर आदी नहीं हूं किसी चीज़ का, जब चाहे छोड़ भी दिया"  तब सही या गलत, किसी निर्णय पर नहीं पहुंची थी और न पहुंचना चाहा था क्योंकि तुम जैसे थे वैसे ही पसंद थे, तुम्हें बदलना नहीं था । तुम्हारी सच्चाई से प्यार हुआ था सबसे पहले, जबकि अपना सच, पूरा सच तो चाह कर भी बता नहीं पायी थी जब तलक कि तुम खुद ही न पहुँच गए थे मेरे सच तक... "झूठ" मेरा रास्ता नहीं था पर सच ने दिया भी क्या था? वो झूठ बस एक ख़्वाब था, जो हकीकत की तरह खुरदुरा नहीं था ... मुलायम चीज़ों की उम्र कम हुआ करती हैं, मेरे झूठ को भी तार-तार हो जाना था । लम्हा दर लम्हा ख़्वाब सा हसीन सफ़र जाने कहाँ ले जाएगा? जब ये मदहोशी टूटेगी तो क्या हम जी पाएंगे उस खुरदरी हकीकत को ? ये कब सोचा था कि जब आंख खुलेगी तो खुद से खुद की पहचान ही न रहेगी या यूं कहूँ कि अपनी

देह से मन तक ...प्रेम तुम्हीं थे

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सुप्त से पन्नों पर मन के  सुर कितने बिखेर गया वो ख़ामोश अहसासों ने करवट ली  फिर एक नज़्म लिखी गयी प्रेम को उकेरा उसने  तो जी उठा हर लफ्ज़ उसकी छुअन से महक उठी थी वो उसके आगोश में बंधी उकेर रही थी  उसी की पीठ पर अपना नाम  मगर नादान फिर भूल गयी  कि नाम लिख देने भर से  मिल्कियत नहीं हो जाता प्रेम नाम का क्या है, धो दिया जाएगा  हर अहसास पानी के चंद छींटों से  प्रेम नहीं जीता देह पर  वो बस उगता है मन की नम ज़मीं पर और घुल जाता है नसों में  तभी तो निरंतर है प्रेम  और देह बस चाह दो घड़ी की ! #सुन_रहे_हो_न_तुम

मोहब्बत का इकरारनामा

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मेरे शब्दों की धड़कन अचानक बढ़ चली थी, तुमने फिर से दस्तक दी मेरे ख़्यालों के बंद दरवाज़े पर ... उंगलियाँ संवाद उगलने लगीं और तुम मौजूद रहे हमेशा की तरह मेरी आँखों में दमकती नमकीन ओस की बूंदों में ! . . हाँ, आज फिर एक पन्ना रंग डाला तुम्हारे रंग में ...  सुनो अपना वादा मत भूल जाना... तुम्हें रहना है मेरी नई किताब के हर पन्ने पर ... जीना है मेरे साथ लफ्ज़-दर-लफ्ज़ मोहब्बत का इकरारनामा ! #सुन_रहे_हो_न_तुम

तेरा इंतज़ार

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जिस दोराहे की तुम बात कर रहे हो, उससे आगे का रास्ता सिर्फ तुम्हें ही चुनना है  .... मेरा रास्ता तो मेरा प्यार है और वो यहीं तक है  ... तय कर लो अपना रास्ता तुम पर मेरी मंज़िल मेरा इंतज़ार है ! #सुन_रहे_हो_न_तुम