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Showing posts from March, 2014

किरदार

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कभी हँसता हूँ, कभी रोता हूँ मैं मगर न हँसी सच्ची, न रोना सच्चा बस एक किरदार जीता हूँ मैं...... दिखाता हूँ तमाशे, करता हूँ ठिठोली , मगर रिसते है आँसू मेरे अंतस में सिसकता हैं दर्द बीमार माँ का सेवानिवृत्त पिता का हँसते हुए चेहरों में दिखता है मायूस चेहरा पत्नी का तब मैं और ज़ोर से हँसता हूँ और रोक लेता हूँ वो दरिया जो लरज़ता है पलकों के भीतर बजती हैं तालियाँ तो मिलता है सुकून क्योंकि यही तालियाँ तो परोसेंगी रोटी भूखे बच्चों के आगे बस यही किरदार प्रतिदिन जीता हूँ मैं मसखरा हूँ मैं ! ©विनिता सुराना ‘किरण’

सूफियाना ग़ज़ल

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आईना बन के सदा चलता है मेरा जब भी भटकी वो पता बनता है मेरा जब घिरी झूठे उजालों में कभी मैं वो मसीहा सच मुझे कहता है मेरा दूर होकर भी करीबी सा लगे है अजनबी सा ही सही रिश्ता है मेरा आहटें उसकी मुझे देती सुनाई वो मुझी में ही कहीं रहता है मेरा वो अंधेरों में उतर आया किरण बन वो सहर है मेरी और अता है मेरा  ©विनिता सुराना 'किरण'

होली गीत

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लाल, हरा, पीला न गुलाबी रंग नहीं कोई चढ़ने पाया प्रीत के रंग में भीगा मन दूजा फिर कोई रंग न भाया याद करूँ वो पहली होली भीगा तन-मन था हमजोली नैनों में थी छवि तुम्हारी हर अभिलाषा तुम पर वारी कोरा-कोरा जीवन मेरा मुझको छूकर तुमने महकाया प्रीत के रंग में ....... पलकों के सब सपने रीते याद रहें बस पल वो बीते रंग-अबीर हुए सब हलके रस के धारे अब भी छलके जीवन-साथी बन कर तुमने चिर-बसंत सा मन को हर्षाया प्रीत के रंग में ........ ©विनिता सुराना ‘किरण’

ग़ज़ल (तुम सा )

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नज़र ये ठहरे जहाँ रहो तुम नहीं नज़ारा कहीं भी तुम सा तलाश करते रहे किनारा नहीं किनारा कहीं भी तुम सा कभी जो क़ुर्बत में घिर गए थे तुम्हीं मुहाफ़िज़ बने हमारे किया भरोसा है इक तुम्हीं पे नहीं सहारा कहीं भी तुम सा अगर खुदा का करम न होता कदम हमारे भटक ही जाते दिखी जो राहें , न दूर मंजिल , मिले इशारा कहीं भी तुम सा हज़ार तारों का नूर फीका वो नूर अफ़्शां हुआ जो रोशन यहाँ भी देखा वहाँ भी देखा नहीं शरारा कहीं भी तुम सा हबीब कितने मिले हो तुमको नहीं है कोई ‘ किरण ’ का सानी कमी अज़ीज़ों की थी न हमको मगर न यारा कहीं भी तुम सा © विनिता सुराना ' किरण '

बरसात

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है फिज़ा में रौनकें कुछ बात है खुशनुमा फिर आज ये जज़्बात है आज भीगा फिर तुम्हारा मन कहीं हो रही रिमझिम तभी बरसात है ©विनिता सुराना 'किरण'