निरंतर

कुछ कहानियों का न आदि होता न अंत ... बस वक़्त की लहरों संग बहा करती हैं जैसे बहुत श्रद्धा से जलाया गया हो दीप और फिर प्रवाहित कर दिया जाए । चाहत एक ही कि अखंड रहे वह दीप और उसकी लौ, भ्रम बना रहता है न जब आंखों से ओझल होने तक टिमटिमाती लौ कि अब कभी न बुझेगी । अपनी आंखों के सामने आख़िर कौन देखना चाहता है मोहब्बत की लौ का बुझ जाना ?

💕किरण
#सुन_रहे_हो_न_तुम

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