एक ख़त बस यूँ ही

अलसुबह के उनींदे ख़्वाब ,

         मुझे बेइंतहा मोहब्बत है तुमसे !तुमसे मिलने को पूरी शब गुज़रने का इंतज़ार करती हूँ ..... सहर तुम्हारे आगोश में हो तो दिन अच्छा गुज़रेगा यक़ीनन ! यही सोचकर तो बीती रात दस्तक देते सभी ख़्वाबों को बेझिझक अलविदा कहे जाती हूँ, ताकि जब तुम आओ तो पलकों में तुम्हारी जगह महफूज़ रहे । थोड़ी सी नमी, थोड़ी सी गर्माहट पर कितना सुकून लिए आते हो तुम, जैसे सूखी सी ज़मीं पर फूट पड़ा हो कोई शीतल झरना बरसाती ... हाँ जानती हूँ अच्छे से, कि तुम ओझल हो जाओगे दिन के चुंधियाते उजास में,  पर तुम्हारा वो कुछ लम्हों में सुबह की मीठी धूप के साथ घुलकर मेरे मन को गुदगुदा जाना बहुत भाता है मुझे । वो आहिस्ता से आकर अंधेरे-अंधेरे मुझसे आलिंगनबद्ध होना और फिर भोर की पहली किरण को मेरे बालों में सजा देना, इतना ही काफी है मेरी सुबह को ख़ुशनुमा बनाने के लिए, और छोड़ जाने के लिए अगली शाम तक एक मीठा सा एहसास, एक कोमल सी छुअन, एक अतृप्त सी तिश्नगी ...पर ढेर सारा प्यार !

तुम्हारी किरण ❤

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