पायलिया (एक मुक्तक, एक दोहा)



रुन-झुन करती शोर पायलिया

मनवा करे विभोर पायलिया

संदेस तेरे आवन का दे,

नटखट है चित-चोर पायलिया |

रुन-झुन रुन-झुन मोहनी, मनवा करे विभोर |

नटखट पैजन रेशमी, नील-नयन चितचोर ||
-विनिता सुराना 'किरण'

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