माला तेरे नाम की

वादा था ख़ुद से 
मेरे हर लफ्ज़ में मौजूद रहोगे तुम !
मगर अहसास समन्दर हो गए, 
और अल्फ़ाज़ डूब कर खो गए।
पुरकशिश हैं तुम्हारी यादें इतनी,
कि ढूंढ लाती है मोतियों की तरह 
चंद लफ्ज़ मेरे,
उस गहरे समन्दर से भी
तब कहीं जाकर एक माला पिरोती हूँ,
तुम्हारे नाम की !

❤️❤️ किरण

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