वो अधूरा ख़्वाब

"अरे ये अभी तक तैयार नहीं हुई वो लोग आने वाले होंगे, ज़रा जल्दी करो तुम लोग ..", हड़बड़ाहट में कोई महिला बोल कर उतनी ही तेज़ी से कमरे से बाहर निकल गयी, जितनी तेज़ी से भीतर आयी थीं। 
       कौन है वो मेरी, जानी-पहचानी सी हैं फिर भी क्यों याद नहीं आ रहा ? मेरे आसपास शायद मेरी सहेलियां हैं या शायद मेरी ममेरी-चचेरी बहनें.. ओह मुझे क्यों नहीं याद इनके नाम ? बड़ा सा ये हवेली नुमा घर, बड़े-बड़े कमरे, गलियारे, बड़ी-बड़ी खिड़कियां और दूर तक फैली रेत ... ये कौन सी जगह है, किस शहर में हूँ मैं ? ये घर मेरा है, ये बड़ा सा कमरा भी ..सभी जाना पहचाना सा मगर फिर भी क्यों मैं ख़ुद को अजनबी सा महसूस कर रही हूं जैसे भटक गयी हूँ । तुम आने वाले हो, आज हमारी सगाई है, तुम्हें एक नज़र देखने को तरस गयी हूँ जैसे... कितना इंतज़ार करवाओगे, जल्दी से आ जाओ न ..
       जाने क्यों लगता है तुम्हारे आ जाने से सब सही लगेगा, मेरी पहचान, मेरा घर, मेरे अपने ... तुम ही वो चाबी हो जो ये सारे सवालों के ताले खोल सकते हो । मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही है, हर गुज़रते पल के साथ, ये इंतज़ार क्यों खत्म नहीं होता ? सब एक-एक कर बाहर जा चुकी हैं और मैं खिड़की पर खड़ी दूर तक जाती, या फिर दूर से आती उस लंबी सड़क पर निगाहें टिकाये तुम्हारे आने का इंतज़ार कर रही हूँ ...
         घर की महिलाएं मंगल गीत गा रही हैं पर जैसे मेरे कान सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी आवाज़ सुनना चाहते हैं । मैं अपने कानों पर हाथ रख कर सारी आवाज़ों को बंद कर देना चाहती हूं, ताकि जब तुम पुकारो तो मैं चूक न जाऊं। शाम होने को आई और दूर सारे रंग फैलने लगे हैं आसमान में, वो आधा सा चाँद भी चुपके से तांक-झांक कर रहा है बादलों के पीछे से.... कहाँ हो तुम बाबू ? उफ़्फ़ ये कैसा शोर है, कोई इस ढोल की आवाज़ को शांत करवाओ न, उसने मुझे पुकारा तो कैसे सुन पाऊंगी ? 
"बाबू ! बहुत डर लग रहा है, कहाँ हो तुम ? बाबू $$$$$$$$ "

एक घुटी-घुटी सी चीख के साथ आज फिर खुल गयी है नींद, फिर वही अधूरा ख़्वाब, फिर वही इंतज़ार ... कौन हो तुम? तुम्हें बाबू क्यों बोलती हूं मैं, ये क्या पहेली है जो सुलझती ही नहीं ? बाथरूम के शीशे में खुद को देखती हूँ तो सारा मंज़र जैसे मेरी आँखों की लाली में साफ़-साफ़ दिखाई दे रहा है और ये बेचैनी नींद से जागने के बाद भी क्यों इतना बेचैन करती है ? ये ख़्वाब ! हर बार की तरह आज भी पूरा न हुआ ...

#सुन_रहे_हो_न_तुम

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