अब हमारी बारी है

शब-ए-गुज़िश्ता में जो ख़्वाब बुने तेरे संग 
उनकी कशिश सुब्ह तक तारी है
तन्हाइयों ने समेटा है यादों का ज़खीरा
वक़्त ने कसमसा कर इतना कहा,
"जी लो जी भर के अब तुम्हारी बारी है !

#सुन_रहे_हो_न_तुम

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