मीरा-माधव




जिस रास्ते पर तपता सूरज
सारी रात नहीं ढलता
इश्क़ की ऐसी रहगुज़र को
हमने चुना है सीने में
आवारापन बंजारापन ..
एक हला है सीने में 🎼


“तुम्हारी आवाज़ बहुत मीठी है , बिल्कुल दिल से आती है”

“तुम्हें पसंद आई तो जरूर होगी ...दिल से ही गाया है”

“ये भी कोई पूछने की बात है, तुम्हारी हर चीज़, हर बात, हर अदा पसंद है मुझे”

“जब उदास हो मन, तो बस यही गाना गुनगुनाया करती हूँ .... ऐसा लगता है उदासी की परछाइयों से निकलकर कोई अनजाना मगर पहचाना सा साया बाहों में भर लेता है मुझे और फिर मन शान्त और आँखें नींद के आगोश में सुकूँ से खो जाती हैं ...”

“क्या अब भी उदास है मीरा ? अब तो माधव है न उसके साथ ?”

“नहीं मीरा को उसका प्यार मिल गया, वो साथी मिल गया जो बस उसके ख़्यालों में जीया करता था ... दूर ही सही पर अहसास तो पास है”

“आज दूर हैं पर कभी पास भी होंगे ... जिस दिन तुम पास होगी उस दिन लगेगा मानो सारे जहां की खुशियाँ मिल गयी हो मुझे”

“नहीं हमें ... जानते हो ये पिछली तीन रातें बेहद खूबसूरत थीं ....हर लम्हा खूबसूरत था ... मीलों की दूरी थी हमारे बीच मगर नज़दीकियाँ ऐसी कि अगर बीच से हवा भी निकले तो दोनों को एक साथ छुए”

“बाबु , अभी तो शुरुआत है , गिनते-गिनते थक जाओगी”

“मैं नहीं गिनूंगी बस जीऊँगी तुम्हारे साथ ...थकने के लिए तो बहुत सारे विकल्प हैं”

“अच्छा ! वो क्या हैं ?”

“अगर ऐसा मुमकिन हो तो तुम्हें प्यार करते-करते थकना चाहूँगी पर जानती हूँ प्यार में थकना तो असंभव है... तुम्हारा हाथ थामे दूर तक चलते हुए थकना चाहती हूँ ....तुम्हारे साथ कदम से कदम मिलाते, दौड़ते हुए, हँसते-बतियाते पहाड़ों को नापते हुए थकना चाहती हूँ ...”


दिल का दरिया बह ही गया
इश्क़ इबादत बन ही गया
खुद को मुझे तू सौंप दे
मेरी ज़रूरत तू बन गया
बात दिल की नज़रों ने की
सच कह रहा, तेरी कसम
तेरे बिन अब न लेंगे एक भी दम
तुझे कितना चाहने लगे हम ...


“अगर इतना प्यार करोगे तो मेरी आदत बिगाड़ दोगे”

“बिगड़ जाने दो न .... मैं तो चाहता ही हूँ डूब जाओ मेरे प्यार में”

“फिर मत कहना पीछे ही पड़ गयी ...”

“न कभी नहीं ... तुम्हें हक़ है !”

#सुन_रहे_हो_न_तुम

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