शापित प्रेम
रंग चढ़ा देता है कोरे से मन पर
चमक आ जाती है आंखों में
नूर बरसता है चेहरे पर
हरारत सी रहती है ख़्वाबों में भी..
पढ़ते-पढ़ते आंखें जो मूंदी
तो बस बहा ले गया अपने साथ
वो जो सुरूर था उसकी रगों में बहता हुआ
तो बस बहा ले गया अपने साथ
वो जो सुरूर था उसकी रगों में बहता हुआ
और सो गई वो
ये पढ़ने से पहले ही
कि शापित भी होता है प्रेम
जितना जिलाता है
उतना जलाता भी है
ये पढ़ने से पहले ही
कि शापित भी होता है प्रेम
जितना जिलाता है
उतना जलाता भी है
बस जागने पर नहीं मिलती
उन ख़्वाबों की राख
फिर भी सुलगती है
ज़िन्दगी !
उन ख़्वाबों की राख
फिर भी सुलगती है
ज़िन्दगी !
#सुन_रहे_हो_न_तुम
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