मैं बस एक लम्हा

तुम सदियाँ हो और मैं ..
मैं बस एक लम्हा 
तुम चिर बसंत और मैं ...
मैं खुशबू सी अधीर
तुम ठहरते नहीं और मैं ..
मैं पड़ाव पर अटका मुसाफ़िर
चलो जाने दो मेरी बात
आबाद रहो 
कतरा भर ही सही,
मुझमें रहो !
©विनीता किरण 

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