अंतहीन

ये हमारी बातें हमेशा अधूरी रह जाती हैं, कितना कुछ होता कहने को पर तुम्हारे साथ का ये वक़्त कैसे फ़ुर्र हो जाता और इन अधूरी बातों से जाने कितनी बातें और जोड़ती रहती हूँ सारा दिन तुमसे अगली मुलाक़ात तक ...

हाँ तो क्यों होनी हैं पूरी, मैं तो चाहता हूँ यूँ ही तुम्हें सुनता रहूँ, देखता रहूँ तुम्हारे होंठों की हरकत, आंखों की चमक जिसमें घुल जाती है तुम्हारी उन्मुक्त हँसी... ये बातें हमारे अंतहीन सफ़र की साथी हैं, कही-अनकही हर वो बात जिसका एक सिरा तुम्हारे पास रहा है और दूसरा मेरे। हमारे बीच तो चुप्पियां भी बोलती हैं !

तुमने कहा तुम्हारे स्केच मेरे शब्दों का साथ पाकर ही मुक़म्मल होंगें और मुझे ये एहसास हमेशा सालता रहा कि मेरे शब्दों का सफ़र तन्हा सा क्यों है ? शायद इन्हें भी हमेशा इंतज़ार रहा कि कोई चित्रकार अपनी आकृतियों में इन्हें जीवंत कर सके ... कभी-कभी कहना भर काफी नहीं होता न !

💕 किरण
#सुन_रहे_हो_न_तुम

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