प्रकृति से मुलाक़ात महाबलेश्वर में

प्रकृति को क़रीब से महसूस करना हो तो पहाड़ों से बेहतर कोई जगह नहीं ! यूँ तो समुद्र और उसके तट पर अठखेलियां करती धवल लहरें भी कम नहीं लुभाती और वो नम और नर्म रेत जब लाड़ से सहलाती है तो लगता है प्रकृति ने रेशमी आँचल लहराया और अपनी नाज़ुक गिरफ्त में समेट लिया । प्रकृति का एक और रूप रेगिस्तानी रेत भी तो है दिन में तपती रेत जब शाम ढलने के साथ ही शीतल हवा के साज़ पर थिरकती है तो अद्भुत एहसास होता है ... दूर-दूर तक फैला वीराना भी संगीतमय हो जाता है।
      बचपन से शहर में पली-बढ़ी मगर तसव्वुर में हमेशा पहाड़ आते जब भी पेंसिल या ब्रश उठाती कुछ भी उकेरने को । जब nature विषय दिया गया ड्राइंग के लिए सबसे पहले पहाड़, पेड़ और नदी, पहाड़ों के पीछे से उगता हुआ सूरज ही उकेरा होगा । फिर धीरे-धीरे कुछ फूल उग आए उन पेड़ों पर और उनका अक्स पहाड़ी नदी के आँचल पर उकेरा गया । वह बचपन का आकर्षण कब जुनून बन गया ये एहसास महाबलेश्वर जाकर हुआ, हालांकि उससे पहले नैनीताल, मसूरी, मनाली(पहली ट्रिप) में पहाड़ों से मुलाक़ात हो चुकी थी मगर तब घनिष्टता न हो पायी, कारण कई रहे जिन पर बात फिर कभी ... मगर प्रेम के बीज रोपित तो हो ही चुके थे।
         जयपुर से गोआ रोड ट्रिप के दौरान अलीबाग से महाबलेश्वर तक का ख़ूबसूरत सफ़र अविस्मरणीय रहा, मुम्बई-गोआ हाईवे (जो आगे पनवेल, कोचि होते हुए कन्याकुमारी तक जाता है) पर चमकती धूप अचानक पोलादपुर से महाबलेश्वर के लिए मुड़ते ही हाईवे पर ही छूट गयी... आधे किलोमीटर का सफ़र और मौसम अचानक बदल गया मानो सूरज की सीमा समाप्त और काले कजरारे बादलों की सीमा आरम्भ । लगभग 41 कि.मी. का रोमांचक सफ़र कटीले, घुमावदार, पहाड़ी एकल मार्ग पर... जाने कितने ही अंधे मोड़ और धीरे-धीरे नीचे उतरते बादल मानो महाबलेश्वर से पहले हमसे मुलाक़ात के लिए बेसब्र हों .... बूंदों से बोझिल हवा और दूर से स्नेहिल निमंत्रण देती महाबलेश्वर की पहाड़ियां, हर लम्हा एक इबारत सा दर्ज होता गया। हरे-भरे पेड़ों से ढकी गहरी खाइयाँ एक तरफ और ऊँचे पहाड़ो के बीच से संकरे पहाड़ी मार्ग से गुज़रती हमारी कार, जाने कितने ही मोड़ उस रोमांचक सफ़र में पार हुए और अंततः हम महाबलेश्वर पहुँच गए। ऑफ सीजन में भी पर्यटकों की भीड़ देख थोड़ी उलझन हुई कि जिस सुकून की तलाश थी, वो मयस्सर भी न हुआ ... फिर तय किया कि वहाँ चलें जहाँ "कोई आता-जाता नहीं" 😜

क्रमशः (to be continued)

#MahabaleshwarDiaries
©विनीता किरण
          
         

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