करवाचौथ

"दीदी , मैं कल काम पर नहीं आऊँगी", घरेलू सहायिका ने कल जाते-जाते कहा ।

"क्यों कल क्या है?", मैंने अख़बार से सर उठाते हुए पूछा।

"अरे कल करवा चौथ है न दीदी.."

"अरे हाँ ! चल ठीक है ... अरे सुन तो, पिछले ही हफ़्ते तू मुझे कह रही थी, मैं चाह रही वो घर से निकले तो मैं बच्चों की ज़िंदगी सुधार पाऊँ, रोज दारू पीकर मारपीट करता मेरे और बच्चों के साथ। बच्चे ठीक से पढ़-लिख, खा-पी भी नहीं पाते, कमाता-धमाता नहीं उल्टा मेरे पैसे भी लडलड़ाकर ले जाता", मुझे अचानक पिछले हफ्ते का उसका रोना-धोना और सूजा हुआ माथा याद आ गया ।

"हाँ दीदी , सच बहुत दुःखी हो गयी ... दिन भर हाड़ तोड़ती पर फिर भी कम ही पड़ता, ऊपर से ये आफत मेरे गले पड़ी है...", उसने एक लंबी सांस लेते हुए कहा।

"इसके बावजूद भी तुझे उसकी लंबी उम्र के लिए उपवास रखना है ताकि और 50 -60 साल तुझे और बच्चों को तले ? ऐसा कौन सा सुख दे रहा तुझे जो ये व्रत रखना तुझे ?" मैं खुद को रोक नहीं पायी उसके तीन बच्चों की मुरझाई सूरत याद करके ।

"क्या करूँ दीदी, आखिर है तो मेरा आदमी ही, मेरे बच्चों का बाप भी, फिर सारे घरवाले और रिश्तेदार भी जीने नहीं देंगे। जैसा भी है घर पर पड़ा रहता तो लोगों की ज़ुबान बंद रहती वरना आपको तो पता अकेली औरत और बिना बाप के बच्चों को कोई चैन से जीने नहीं देता ।"

"ये खूब है ! उसका नाम चाहिए बाकी चाहे जल्लाद ही क्यों न हो ... खैर तेरी मर्ज़ी जा रख व्रत ..", कहकर मैंने एक गहरी सांस के साथ फिर अखबार में सिर घुसा लिया ।

अभी दो हैडलाइन ही देखी कि दूसरी सहायिका जो कपड़े धोने आती है, आकर बोली, " दीदी मैं कल थोड़ा देर से आऊँगी, आपको कहीं जाना तो नहीं है ?"

"अब क्या तू भी व्रत रखेगी ?" आश्चर्य से मैंने पूछा। अभी कुछ ही दिन से आ रही है मेरे घर पर और खुद उसी ने बताया था कि शादी के 6 महीने बाद ही उसकी कोख में अपनी निशानी छोड़कर वो चला गया और किसी दूसरी औरत से शादी करके उसके साथ रह रहा ।

"हाँ दीदी व्रत तो रखना पड़ता, पति तो है न ...", उसने सकुचाते हुए कहा ।

अब मेरे बोलने को बाकी भी क्या था ! जय हो भारतीय नारी ! तुझे समझना बेहद मुश्किल और समझाना तो नामुमकिन शायद 😬😒

#करवाचौथ
#विनीता किरण

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