Manali Diaries # 9

कभी-कभी मंज़िल से कहीं अधिक ख़ूबसूरत रास्ता होता है, कुछ ऐसा ही है Banjar की खूबसूरत हरी-भरी वादियों में बसे छोटे से गांव Jibhi तक पहुँचने का रास्ता ! चंडीगढ़-मनाली हाईवे पर एक लंबी सुरंग पार करते ही Aut, एक छोटा सा शहर और वहाँ से लगभग 35 km का ख़ूबसूरत सफर है Jibhi का।
चीड़ के पेड़ों के अलावा सेब, अनार, अखरोट, लाल बेर से लदे पेड़ सड़क के किनारे से लगभग पूरे रास्ते आँखों को ठंडक देने के साथ ललचाते भी है (मगर अफसोस हम फल पकने से कुछ पहले पहुँच गए )। चिलचिलाती धूप होने के बावजूद पूरे सफर में एक पल को भी नज़र नहीं हटी कुदरत के खूबसूरत नज़ारों से ।
शृंगा ऋषि के मंदिर पहुँच कर लगा, छोटा सा मंदिर ही तो है, परन्तु जब एक सीढ़ी चढ़कर ऊपर पहुँचे तो शीतल बयार ने एक बारगी पूरे रास्ते की तपन भुला दी। पहाड़ी झरने का कुदरती बर्फीला पानी, जो टीटू ने रास्ते से भरा था, पीकर जो तृप्ति मिली, वह स्वाद और ठंडक किसी 20 ₹ वाली मिनरल वॉटर की बोतल में कहाँ ! अरे हाँ ये तो बताना ही भूल गयी इस सफर में टीटू (कॉटेज का केयरटेकर) हमारा गाइड था, क्योंकि ये उसका पैतृक गाँव है और वह Jalori pass (जो हमारा अगला पड़ाव था) के आसपास के सभी रास्तों से भली-भांति परिचित था।
मंदिर के बरामदे में ठंडी हवा का आनंद , ऐसे जैसे बीसियों कूलर लगाए हों कुदरत ने, और सामने थी ख़ूबसूरत वादियां Banjar घाटी की । कैमरा क्लिक करता रहा पर पागल मन था कि भर ही नहीं रहा था, मानो सारी खूबसूरती को कैद कर लेना चाहता हो । अब बारी आई मंदिर में दर्शन की, तो दहलीज़ पर ही कदम ठिठक गए, दरवाज़े पर मधुमक्खियों का पहरा जो था ! टीटू ने पुजारी(जो उसका दोस्त भी था) को आवाज़ लगाई तो उसने आकर समझाया, "ये मधुमक्खियां हमेशा रहती हैं पर किसी को काटती नहीं, आप बिना डरे चले आइये मेरे पीछेे ..."
हिम्मत करके हम चल दिये उनके पीछे और सचमुच मधुमक्खियों ने सप्रेम रास्ता दे दिया हमें। कुछ लकड़ी की ऊँची सीढ़ियां चढ़कर मंदिर का कक्ष दिखा, स्वच्छ और ठंडा .. कुछ देर वहाँ बैठना सुकून से भर गया मन को, पर Jibhi तो एक पड़ाव भर था हमारे लंबे  सफर का, आगे पैदल ट्रेक करना था हमें लगभग 3 घंटे Chaini गाँव के लिए जो प्रसिद्ध है चीनी शिल्प के लिए , खासकर Chaini fort ... मगर अफसोस तेज़ धूप ने हौसले पस्त कर दिए और हमने Chaini को भी अपनी wish list में डाल लिया, अगली ट्रिप के लिए (जो पक्का सर्दी के मौसम में होगा 😊😊)
  " टीटू हमें छोटे-छोटे ट्रेक पर ले चल, कुछ ऐसे 'जहाँ कोई आता-जाता नहीं' 😜" (अरे मतलब पर्यटकों की भीड़-भाड़ न हो और हम प्रकृति के साथ कुछ ख़ूबसूरत लम्हे संजो सकें 😃😃)
टीटू का मीठा सा सदाबहार जवाब था " हाँ जी" हम तो उस प्यारे बच्चे के इन दो शब्दों के कहने के अंदाज़ पर ही फिदा थे !

#kiran
    

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