Manali Diaries #4

'मणिकरण' की अविस्मरणीय यादें पिछले 15 वर्षों से दिल में सजीव थीं। कुल्लू से होकर मणिकरण जाने वाले रास्ते में घाटियों से गुज़रते हुए ऊँचे-ऊँचे आसमान छूते चीड़ के पेड़ और घने जंगल तब सहयात्री जो रहे थे ! एक बार फिर उसी राह पर बढ़ चली थी हमारी टैक्सी कार ... बहुत कुछ बदला हुआ सा लगा ... पहले से कहीं ज्यादा घर पहाड़ियों की गोद में मुस्कुरा रहे थे ,  घने जंगल अब उतने घने नहीं दिखे, इंसानी जरूरतों को निरंतर पूरा करने की क़वायद में ही शायद जंगलों के माथे से बाल (वृक्ष) झड़ चुके थे और अब भी झड़ ही रहे हैं। सड़क किनारे अनगिनत होटल और गेस्ट हाऊस दिन-प्रतिदिन बढ़ती हुई पर्यटकों की माँग को पूरा करने के लिए बाहें पसारे आमंत्रण देते दिखाई दिए । इस सबके बावजूद कुदरत अपने साज-श्रृंगार से मन मोह रही थी, तेज धूप को अपने ऊपर झेलकर भी ठंडी छांव लुटाते वृक्ष कैसे न भाते मन को ? पार्वती घाटी का आँचल तर करती पार्वती नदी हमारी आंखों को भी सुकून दे रही थी। जाने कितने ही नज़ारे मन के कैमरे में कैद होते गए, उनमें से कुछ ही पकड़ पाया हमारा कैमरा ... मन जितनी संवेदनशीलता भला कैमरे में कहाँ !
   मणिकरण से कुछ ही दूर पहले रास्ते मे 'कसोल' गाँव का मार्केट बरबस ही आकर्षित करता है, नहीं दुकानों या उनमें बिकते सामान के लिए नहीं बल्कि वहाँ के स्थानीय बाशिंदों और उनकी पारंपरिक वेशभूषा के कारण। हमारे टैक्सी ड्राइवर विकास (कसोल का ही निवासी) ने बताया कसोल से आगे काफी ऊंचाई पर पहाड़ों में बसा है मलाना गाँव जहाँ ट्रेक करके पहुँचा जा सकता है, मगर एक निश्चित सीमारेखा तक ही, वहाँ की अपनी एक अलग ही वेशभूषा है और अलग ही भाषा( जिसका प्रयोग उस गाँव के निवासियों के अतिरिक्त कोई नहीं कर सकता ), कुछ हमें बाज़ार में दिखाई भी दिए पर कैमरा खामोश रहा इस डर से कि कहीं हम उन्हें नाराज़ न कर दें । उनके गाँव में उनके देवता के मंदिर में बाहरी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित है तथा वे हर बाहरी व्यक्ति के लिए अस्पृश्य हैं (कोई छू नहीं सकता उन्हें ) यहाँ तक कि कसोल में उनकी दुकानों पर भी पैसे काउंटर पर रखने होते हैं और सामान भी काउंटर से ही उठाना होता है। वैसे एक और बात भी है जिसे फुसफुसा कर बोलते हैं सभी ... सबसे उच्च कोटि की हशीश वहाँ उगती है और वही आकर्षण का केंद्र है वहाँ जाने वाले ट्रेकर्स के लिए । अब इतनी जानकारी काफी नहीं थी हमारे लिए पर ट्रेक करने के लिए हिम्मत कहाँ से लाते 😜😂 । वैसे और भी बहुत से ट्रेकिंग पॉइंट है कसोल से जाने के लिए जैसे बरसैनी, तोष, खीरगंगा .. सबकी अपनी अलग विशेषताएं हैं पर सबसे सुंदर और लंबा ट्रेक खीरगंगा का है दो दिन का। रास्ते में कई झरने, झील इस कठिन ट्रेक के आकर्षण हैं । अगले ट्रिप में मेरा पहला ट्रेक निश्चय ही खीरगंगा होगा, इसी प्रण के साथ हम मणिकरण की ओर बढ़ चले ...

#Kiran

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