इत्तेफाक़ !

"अरे तुम यहाँ ! इस समय ?"
"तुम सवाल बहुत करती हो , चलो अब बैठो बाइक पर.."
"हम्म, ठीक है पर तुम इस समय कैसे, ये तो बताओ... तुम तो लंच के लिए 2 बजे जाते हो घर और अभी तो 4 बजे है, आज देर कैसे हो गयी ?"
"हाँ आज देर हो गयी, फिर सोचा तुम्हारा भी घर जाने का समय हो गया तो तुम्हें घर छोड़ते हुए निकल जाऊँगा..."
"आज मेरा व्रत भी है.. भूख भी लगी है पर बेकार तुमने लंबा चक्कर लिया, तुम्हें भी तो भूख लगी होगी ? सीधे घर चले जाते"
"अच्छा आज सोमवार है क्या? मुझे तो ध्यान ही नहीं था । फिर तो अच्छा हुआ न, मैं आ गया ? बस में तो एक घंटा और लगता तुम्हें और मैं 10 मिनट में पहुँचा दूंगा", उसने मुस्कुराते हुए कहा ।
       उसके बाद हर सोमवार उसे लंच के लिए निकलने में देर हो जाती और वो 4 बजे उसे घर छोड़ते हुए ही अपने घर जाता।
अजीब इत्तेफाक़ था!  

#किस्सा_ए_कॉलेज_प्रेम_कथाएं

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