हिस्सा

ये तेरी चाल थी ज़िन्दगी
हर वरक़ पर
नया किस्सा लिखती रही!
पर ज़िद थी ये मेरी भी
चुपके से हर किस्से में
उसका हिस्सा लिखती रही !
©विनीता सुराणा किरण

Comments

Popular posts from this blog

लाल जोड़ा (कहानी)

एक मुलाक़ात रंगों से

कहानी (मुक्तक)