प्रेम

उन यादों के फ़ूल
मुरझाया नहीं करते
जो खिलते है
अहसास की ज़मीं पर,
तुम्हारे साथ
ऐसे ही बीज बोना चाहती हूँ
प्रेम के !
©विनीता सुराना 'किरण'

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