बहाना

कहा था न तुमने
"ये बूँदें जब-जब छुएंगीं
मुझे महसूस करोगी"
आज फिर बरसी हैं बूँदें
एहसास बनकर ..
कश्मकश में हूँ !
कैसे अदा करूँ इनका शुक्रिया ?
कभी तुम्हारे आने का बहाना थी
और अब बस मुझे सताने का...
©विनीता सुराना 'किरण'

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