अलविदा !

काश !
कोरे पन्ने पर
पेंसिल से लिखे
अल्फ़ाज़ सी होती
यादें तुम्हारी..
मिटा देती उन्हें
रबड़ से
और लिख देती
अलविदा !
©विनीता सुराना 'किरण'

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