करवट

ख़ुश्क सा एहसास 
मीठी सी प्यास
बोझिल पलकें
बेचैन ख़्वाब
ये नज़दीकियां
फिर भी दूरियां
सदियों सी पहचान
थोडा सा अनजान
अज़ब सी कश्मकश
मन के तारों में
जुड़ने न जुड़ने का अनिश्चय
आहटें अपनी सी
तन्हाइयों को चीरती
माज़ी का पतझड़
या
उत्सव नए मरासिम का ...
करवट ली है मन के मौसम ने !
©विनीता सुराना 'किरण'

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