ऐ ज़िन्दगी !

क्यूँ करें तुझसे वफ़ा, ऍ ज़िन्दगी।

जाने कब दे तू दगा, ऍ ज़िन्दगी।


दर्द जितने दे लगा लेंगे गले,

गर दवा भी तू बता, ऍ ज़िन्दगी।


©विनीता सुराना 'किरण'

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