पुल

कितने अलग हैं “हम-तुम”
अलग दिशाओं की तरह,
अलग मौसमों की तरह,
अलग हर क्षण बदलते समय की तरह
कुछ भी तो समान नहीं है
तुम में और मुझ में
अलग चेहरा,
अलग पहचान,
अलग स्वभाव,
अलग सोच,
फिर आख़िर क्या है ऐसा,
जो “हम-तुम” जुड़ें हैं,
आज से नहीं
उस आदि काल से
कौन सी कड़ियाँ हैं
जो हमारे बीच पुल बनाती हैं,
उसी पुल से होकर
कुछ तरंगें आती-जाती हैं
जो मिला देती हैं “हम-तुम” को ....
इसे आकर्षण कहूँ या प्रेम,
संयोग या नियति
पर कुछ तो होगा “तुम” में
जो मिलना चाहता है “हम” से
या इसके उलट
बस “उसी” की तलाश है मुझे
क्या तुम जानते हो उसे ?
©विनिता सुराना 'किरण'

चित्र साभार सुरेश सारस्वत जी 

Comments

Popular posts from this blog

Kahte hai….

Chap 25 Business Calling…

Chap 36 Best Friends Forever