बैरी पिया (विडालगति सवैया छंद)


नींदें मेरी लूटे बेचैनी दे जाए, पूछो तो क्या चाहे क्यों ख्वाबों में आए।

नैनों की बातों से जादू सा छा जाए, चाँदी सी रैना हो चंदा डोली लाए।

झूला हो बाहों का, खो जाऊँ सो जाऊँ, चूमे वो नैनों को हौले से मुस्काए।

यादों के वो साये मेघा जैसे छाये, भीगी-भीगी कोरों से मोती खो जाए।

©विनिता सुराना 'किरण'

Comments

Popular posts from this blog

लाल जोड़ा (कहानी)

एक मुलाक़ात रंगों से

कहानी (मुक्तक)