बसंत (विडालगति सवैया छंद)


डाली-डाली फूलों वाली भँवरे डोलें, हाँ वो बोलें आया है बासंती मेला

गौरी झूला झूले, बाली चूड़ी बोलें, हाँ वो बोलें आया है बासंती मेला

बागों पंछी गाते, पंखों को वो खोलें, हाँ वो बोलें आया है बासंती 

मेला

बासंती झोंकों में मेघा मिश्री घोलें, हाँ वो बोलें आया है बासंती मेला

©विनिता सुराना 'किरण'

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