कोशिश (मुक्तक)


वफ़ा जो दिल नहीं करता, ख़ुशी दाख़िल नहीं होती।
निभाने को मरासिम रस्म ही क़ाबिल नहीं होती।
नहीं है उम्र वादों की, करो तो कोशिशें करना,
न हो कोशिश, मुहब्बत भी कभी क़ामिल नहीं होती।
©विनीता सुराना 'कि
रण'

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