ज़िन्दगी (मुक्तक)


लहर-लहर अनुभव से सँवरती रही ज़िन्दगी। 
गम के तूफानों में लरज़ती रही ज़िन्दगी।
रोका तो बहुत ईर्ष्यालु चट्टानों ने मगर, 
हौसलों की पाल से सरकती रही ज़िन्दगी । 
©विनिता सुराना किरण

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