कह मुकरिया

अंक बैठ के मन हर्षाए |
दूर गगन को छूना चाहे ||
खुशियाँ चहके हर गम भूला |
क्या सखि साजन? ना सखि झूला ||

देख मुझे हर्षित हो जाए |
नाम पुकारे मुझे बुलाए ||
पास रहे वो मन खुश होता |

क्या सखि साजन? ना सखि तोता ||
©विनिता सुराना 'किरण'

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