ग़ज़ल


चाहत करे है उसकी जो तकदीर में नहीं
कैसे पढ़े वो लफ्ज़ जो तहरीर में नहीं

ढूँढे नज़र उन्हें न मिली फुर्सते जिन्हें
रहते कभी थे दिल में वो तस्वीर में नहीं

निभते नहीं कभी ये मरासिम है ज़ोर से
तासीर जो है इश्क में ज़ंजीर में नहीं

हो जाएंगे फ़ना जो नज़र से मिली नज़र
जो बात इक नज़र में वो शमशीर में नहीं

दिलकश है दिलनशीं है वो दिलदार है 'किरण'
महबूब में कशिश है वो कश्मीर में नहीं
©विनिता सुराना 'किरण'
 

Comments

Popular posts from this blog

Kahte hai….

Chap 25 Business Calling…

Chap 36 Best Friends Forever