ग़ज़ल
रहने दो फासलों को ज़रा सा तो दरमियाँ
चिलमन खुली हया की, गिरा देगी बिजलियाँ
तन्हा गुज़र गया है सफ़र यूँ ही बेवजह
दिल ये संभल सका न, मिली है जुदाइयाँ
हर शख्स जी रहा है पराई सी ज़िन्दगी
साँसें भी साथ देगी न, हो जब विदाइयाँ
गहरे बहुत से राज छिपाया किये थे वो
खुल जो गयी है पोल, उडी है हवाइयाँ
गुस्ताख दिल है यूँ न संभल पायेगा ‘किरण’
दिल तेरा लूट ले न, कहीं मेरी शोखियाँ
©विनिता सुराना ‘किरण’
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