गाँव (दोहे)



पर्वत के तलहट बसा, मेरा प्यारा गाँव |
हरियाली है चहुँ तरफ, और घनेरी छाँव ||
कल-कल बहती है नदी, प्रचुर बहे है नीर |
धूल प्रदूषण है नहीं, दूर रहे सब पीर ||
बचपन खेले अंगना, माँएँ गाती गीत |
हिल मिल रहते है सभी, मन में गहरी प्रीत ||
पशु-पक्षी निर्भय रहें, सुन्दर सा संसार |
आओ देखो तुम सभी, मेरा ये परिवार ||
-विनिता सुराना ‘किरण’

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