चौपई छंद



मीठे वचनों की बौछार |
कड़वाहट का काटे वार ||
दूरी मिटती बढ़ता प्यार |
जीवन बन जाए त्यौहार ||

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धीरज से सधते सब काज |
हडबड से गिर जाये गाज ||
हौले से सुर साधो आज |
सध जायेंगे सारे साज ||
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शब्दों में तू संयम पाल |
सरगम क्या जब टूटे ताल ||
मन निर्मल तो चमके भाल |
सत्कर्मों में जीवन ढाल ||
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रख अपने चित्त स्वाभिमान |
औरों को भी दे सम्मान ||
पीर परायी अपनी जान |
मानुष की है ये पहचान ||
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मन को जीते मिलती जीत |
जग झूठा है झूठी प्रीत ||
माया को जो समझे मीत |
कैसे समझे जग की रीत ||
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मुरली मीठी छेड़े तान |
अधरों पर खेले मुस्कान ||
गोपी गैया भूले भान |
राधा रानी की वो जान ||
-विनिता सुराना 'किरण'

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