ग़ज़ल
मिटा कर हर ख़ुशी
अपनी लिये है दर्द अब हमने
जले अरमां चरागे
दिल जलाये आज जब हमने
दिए है गम बहुत
तुमने मगर शिकवा करें तो क्या
दुआ तेरे लिये की
है तुझे ही मान रब हमने
मिले थे
इत्तिफाकन हम चले थे हमकदम बनकर
मुहब्बत का भला
सोचा यहाँ अंजाम कब हमने
कहीं जो तुम गुज़र
जाओ उन्हीं राहों से फिर इक दिन
चुभन कोई न हो
तुमको चुने थे खार तब हमने
न तुम आये न ख़त
कोई न पल भर को 'किरण' सोई
वफ़ा की राह में
तनहा सहे है ज़ख्म सब हमने
-विनिता सुराना 'किरण'
Comments