दो कदम (मुक्तक)

क्यूँ न फिर याद करे आज हसीं वो लम्हें
सोच कर देख ज़रा लौट यहीं आयेंगे

जो मुड़े मोड़ कभी आज वहीँ है हम
दो कदम वो जो चले साथ हमें पायेंगे
-विनिता सुराना 'किरण'

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