आओ हँस ले ......




बाग़-बगीचे, पेड़ों के नीचे,

जिधर देखो फूलों की बहार हैं.

रेशम-बंध लिए हाथ में,

मजनूओं की लगी कतार हैं.

भाव खाएं कन्याएं, मंद-मंद मुस्काएं,

महंगे तोहफों का इंतज़ार हैं.

जल्दी-जल्दी कर लो आदान-प्रदान,

अगले मोड़ पर डंडा लिए हवलदार तैयार हैं.
****************************************

 चुलबुल जी थे बड़े सयाने

लगे थे रूठी सखी को मनाने

नाक रगडी, हाथ जोडे फिर भी न मानी

बोले थक-हारकर फिर चुलबुल ज्ञानी

चलो छोड़ो ! मित्रता दिवस अकेले मनाएंगे

फूल-तोहफे लौटाकर, जेब-खर्च बचायेंगे.
****************************************

गली-गली द्वारे–द्वारे

खूब लगते भैया नारे

कोई कहें बिजली बचाओ

कोई कहें पानी बचाओ

धीरे से तब आयी आवाज़

क्या नेता, क्या जनता

रहे सब मुझे लूट-खसोट

“मैं हूँ भारत, देश तुम्हारा  

कोई तो मुझे बचाओ”
-विनिता सुराना 'किरण'

Comments

Popular posts from this blog

Kahte hai….

Chap 25 Business Calling…

Chap 36 Best Friends Forever