राह (मुक्तक)




साहिल पर खड़े सागर की थाह देखते रहे
चंदा के लिए चकोर की चाह देखते रहे
कहा था 'किरण' अब न देख पाएंगे तुझे कभी
क्यों तेरे लौट आने की राह देखते रहे ?
-विनिता सुराना 'किरण'

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