कोशिश




डाल से टूटा हुआ पात जोड़ सकता नहीं
वक़्त वो गुज़रा हुआ आज मोड़ सकता नहीं
कोशिशें सच्ची अगर हैं कभी न हो हार फिर
चल पड़े तो बीच मझ धार छोड़ सकता नहीं
हार कर रुकना नहीं सांस जब तलक ये चले
थम गया जो नीर, चट्टान तोड़ सकता नहीं
-विनिता सुराना  'किरण'

 


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