मुलाक़ात




जाने कब होगी उनसे फिर मुलाक़ात ..... दिन-रात हम इंतज़ार करते हैं

लिखकर नाम उनका रेत पर.... न मिटायेंगी लहरें एतबार करते हैं

अरसे से प्यासी इस ज़मीं पर ....दो बूंद सावन की गिरे गुहार करते हैं

सांसें टूटने से पहले झलक उनकी मिले .... दुआ ये हर बार करते हैं
-विनिता सुराना 'किरण'

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