दोहे (प्रार्थना)




खोजे मन हो बावरा, दिन रैना बेचैन |
कण-कण में तुम सब कहें, तरसे फिर भी नैन ||
मंदिर गाई आरती, अर्पित कर फल-फूल |
दीन-दुखी सेवे नहीं, सुख में जाते भूल ||
प्रभु मेरी विनती यही, हर लो सब की पीर |
सिर आशिष का हाथ हो, हिवडे में हो धीर ||
-विनिता सुराना  'किरण'

 


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