लाला जी की कार (दोहे)




कार चलाकर शान से, जाते लाला काम |

भीड़ पड़ी बाज़ार में, भारी लागा जाम ||

कोलाहल है जोर का, काम न आये फोन |

जुगत चले कोई नहीं, पार लगाए कौन ||

बैठे ठाले फँस गए, काश न लाते कार |

रिक्शा में जो बैठते, हो ही जाते पार ||

मन ही मन पछता रहे, काहे ले ली कार |

भीड़ पड़े चलती नहीं, पेट्रोल की मार ||


-विनिता सुराना 'किरण'

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