सरगम, सावन, संगीत (दोहा, रोला, कुण्डलिया)



दोहा

सुर जब सरगम के लगे, मनवा नाचे झूम |

सा रे गा मा संग हो, खूब मचाये धूम ||


रोला

जीवन के दिन चार, झूम के नाचे गाए |

दुःख की चुभे न धूप, संयम सुख में अपनाए ||

जो चित लागे ईश, न कोई पीर सताए |

छेड़ भजन के राग, खूब जियरा हर्षाए ||


कुण्डलिया

आया सावन झूम के, लाए मेघ बहार |

रिमझिम बरसे मेघ हैं, झूमे सब नर-नार ||

झूमे सब नर-नार, ढोल औ चंग बजाए |

हुलसे बाग़ा मोर, गीत कोयलिया गाए ||

सोना उपजे खेत, मेघ ने मन हर्षाया |

नाचो गाओ आज, झूम के सावन आया ||

-विनिता सुराना 'किरण'

Comments

Popular posts from this blog

लाल जोड़ा (कहानी)

एक मुलाक़ात रंगों से

कहानी (मुक्तक)